सुलेमानी कृत्या साधना
आज आप सबके सामने एक बहुत ही तीक्ष्ण सुलेमानी कृत्या की विधान स्पस्ट करने जा रहा हु । जो अपने आप में अस्चार्यजनक है अद्भुत है अनुभूत है । उसी क्षण प्रभाव दिखाने वाला है । एक ही मंत्र से आप अपने शत्रु को बांध भी सकते है । उसके शक्ति क्षीण भी कर सकते है । उसको रोग ग्रस्त भी कर सकते है उसका उच्चाटन भी कर सकते है । यहाँ तक की उसको मार भी सकते है । लेकिन क्या किसी को मारना उचित है ? किसी को बीमार करना उचित है ? बस मजे लेने के लिए किसी के ऊपर कोई ऐसा प्रयोग कर देना उचित है ? आप लोग स्वं ही इसके जिम्मेदार होंगे गलत होने पर भी और सही होने पर भी । में आप लोगो के पाप पुण्य के भागी नहीं बनूँगा । में सदा ही इन से दूर रहूँगा । आप लोग स्वतंत्र है इस विद्या को कैसे भी व्यबहार करे । मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता । हां अगर आप मेरे ही बताये हुए प्रयोग मेरे ऊपर करेंगे तोह भगवती आप का भला करे या कुछ भी करे आप के साथ भगवती । मेरे बाप का क्या जाता है ? आप लोग लकड़ी खायेंगे तोह फर्नीचर निकलेगा ही । आप लोग जिसे जो करना है करे ।
सामग्री :-
केले का फुल और किसी शव वाहन की लकड़ी । जैसे की बांस से बने अर्थी के एक छोटा सा टुकरा । जिसको आप को छिल कर 7 किल बनाना है।
विधि :-
सबसे पहले आप केले का फुल प्राप्त करे विधि अनुसार शनि वार को । फिर मंगल वार को लकड़ी । रवि वार को केले के अन्दर अपने शत्रु की प्राण प्रतिष्ठा करे । अगर शत्रु के नाम गोत्र पता न हो तो नाम के जगह फलाना/फलानी और गोत्र में कश्यप उच्चारण करे । अमावस्या की महा निशा में एक एक मंत्र उच्चारण के साथ एक एक कील यह भावना के साथ उसके अन्दर गाडना है की उसके चार कील से चारो हात पैर । एक से मस्तिस्क, एक से दिल, एक से आत्मा को मार दे । ( अब यहाँ यह मत पूछना की आत्मा तोह कभी मरती है ही नहीं फिर उसको कैसे ?) इस विधि के अनुसार वोह आदमी मर जाता है । और बीमार करना हो तोह कील ठोकने की आवस्यकता नहीं है । बस आप मंत्र पढके 108 बार यह बोलना है की जा तुझे यह रोग हो जाये । अगर उच्चाटन करना हो तोह भी मंत्र पढके यह बोले तू भाग जा यहाँ से चलो भाई यह सब तोह करेंगे ॥ लेकिन मंत्र को सिद्ध कैसे करना है । तोह प्रिय आप लोग सबसे पहले मंत्र की उच्चारण की अभ्यास करे सही तरीके से करने की । फिर नौचंदी जुम्मा से नित्य तिन माला कर के जप करे । पश्चिम दिशा के और मुह कर के महानिशा में । सुलेमानी साधना है तोह विधान भी सब सुलेमानी की जैसे ही अपनाये । शुद्ध अवस्था में सुद्ध वस्त्र में अत्तर के फोहे कान में लगा के लगातार 41 दिन तक । विच में अगर आप को टाइम मिले तोह दुसरे साधनाए भी सम्पन्न कर सकते है. मंत्र सिद्ध होने के बाद ही यह प्रयोग करे ...
मंत्र :-
अल्लाहु मद सिल्ला ,कुरिल्ला कामान माड़ ।।
(अमुक) एर तामान कोरी , शुरोंगो खाय ।।
आल्ला मोहोम्मदेर मोंत्रो पोड़ी जा बोली ताई होय ।।
पाहाड़ छोटे पर्वत टोटे ..(अमुक) एर छेड़ मुर्शिद ।।
आल्ला मोहोम्मदेर रेयोजे खाटे ।।
अगर आप इस मंत्र को सिद्ध कर लेंगे तोह भी किसी भी शत्रु के तरफ देख कर मन ही मन उच्चारण करेंगे तोह उसी क्षण वोह बेहोश होकर गिर पड़ेगा ...और लगाता जप करते गए तोह उसके मुह से खून की धारा बहना शुरू हो जायेगा और वोह काल कब्लित हो जायेगा .. मंत्र को सिद्ध करते वक्त जैसा लिखा है वैसा ही उच्चारण करे । प्रयोग के वक्त अमुक के स्थान पर नाम को लगाये हर एक दिल से निकला दिल दुखाने वाला दुआ । में होता कौन हु करने वाला जो होना था सो हुआ ॥