गर्भ-स्तम्भन मन्त्र

Responsive Ad Here

गर्भ-स्तम्भन मन्त्रः- 

“शुद्ध बुद्ध को ठकुरा बाँधो, गर्भ रहे जी ठहर पाके फूटे बीज गिरे । श्री रामचन्द्र जी, हत्या तोहे परे । ईश्वर तेरी साख, गौरा गाँडा बाँध के नौ महीना राख । ताला झिन्ना न झरै, पट-पट बीधे ताल । लोहू जामुन दे गए, ब्रह्मा और मुरार । ऊँचे चढ़े न नीचे धँसे, धँसे तो महा-देव की जटन में परै । इतनी चुकरियाँ अमृत की भरीं, सो सीता के अङ्ग: धरीं । राख कोख लक्ष्मण जती, नौ महीना के बाद लक्ष्मणकुमार की आन । विष्णु की आन, राजा वासुकि की आन ।।”

विधिपहले दीपावली में १०८ होम धी-गुगल के देकर जगाए । फिर काले धागे का गण्डा बनाकर गर्भिणी को गले या कमर में पहनाएँ, तो गर्भ स्थिर रहे । बच्चा होने पर उतार दें ।
Responsive Ad Here

Author:

velit viverra minim sed metus egestas sapien consectetuer, ac etiam bibendum cras posuere pede placerat, velit neque felis. Turpis ut mollis, elit et vestibulum mattis integer aenean nulla, in vitae id augue vitae.