हाजरात प्रत्यक्षीकरण प्रयोग

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हाजरात प्रत्यक्षीकरण प्रयोग


शुक्रवार को चाँद निकलने के बाद जौ के सवा किलो आटे से एक पुतला बनाओं जिसे की हाजरात कहा जाता है, ये क्रिया शहर या गाँव के बाहर किसी मजार पर जाकर संपन्न की जा सकती है. टोंटीदार लोटे में पानी अपने साथ लेजाकर अपने हाथ पाँव,मुह धो ले और लुंगी तथा जाली दर बनियान या कुरता धारण करे रहे , यदि हरा आसान और वस्त्र हो तो ज्यादा बेहतर रहता है .उस मजार पर हिने का इत्र और मिठाई चढ़ा दे और आसन पर वीर आसन की या नमाज पढ़ने की मुद्रा पश्चिम दिशा की और मुह करके बैठ जाये और दिशा बंधन कर अपने सामने हाजरात को स्थापित कर सबसे पहले १०१ बार  दरूद शरीफ पढ़े.

अल्लाह हुम्मा  सल्ले अला सैयदना मौलाना मुहदिव बारीक़ वसल्लम सलातो सलामोका या रसूलअल्लाह  सल्ललाहो ताला अलैह वसल्लम.

इसके बाद निम्न मन्त्र की हकीक माला से ११ माला करे और ये क्रम एक शुक्रवार से दुसरे शुक्रवार तक करना है,पुतला वही रहेगा जिस पर आपने पहले दिन साधना की है.ऐसा करने से हाजरात प्रत्यक्ष हो जाता है तब उससे तीन बार वचन लेकर उसे जाने को कह देना और जब भी जरुरत हो उसे बुलाकर कोई भी उचित कार्य करवाया जा सकता है. कमजोर दिल वाले साधक इस साधना को ना करे और करने के पहले गुरु की आज्ञा अवश्य ले लें.

मंत्र- या यैययल अलऊ इन्नी कलकिया इलैलया किताबून करीम
       ईन्न उन्नुहु मिन सुलैमाना मिन्न हु बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम


चेतावनी – यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

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