कुछ लघु प्रयोग

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1.पाचन  सम्बंधित प्रयोग :

पार्टी या किसी पर्व विशेष के अवसर पर जब मनचाहा खाना सामने आये तब भला कौन अपने आप को नियंत्रित करसकता हैं बस खाते ही जाओ पर फिर खाना पाचन से सब्बंधित समस्या भी तो सामने आती हैं .

एक मन्त्र आपके लिए :

राम दूताय हनुमान, पवन पुत्र हनुमान ||

बस  तुलसी  के सात पत्ते ले ले ओर  इन पर ३१ बार यह मंत्र  पढ़ कर   जिसे समस्या हो उसे खिला दे . बस आराम होगा.

2.औषधि लाभ प्रयोग :

जब रोग मैं  किसी भी औषधि से लाभ न प्राप्त हो रहा हो या अत्यंत ही धीमे धीमे असर प्राप्त हो रहा हो, तब इस मंत्र से अभि मंत्रित करके उस रोगी को औषधि खिलाये आशातीत लाभ होगा.

मंत्र : ॐ नमो महा विनाकाय अमृतं रक्ष रक्ष , मम फल सिद्धिं  देहि  रूद्र वचनेन स्वाहा ||


3.सुख शांति प्रयोग :

आज के परि वेश में घर परिवार में शांति हो स्नेह हो धीरे धीरे एक स्वप्न साबनता जा रहा हैं , इन बातों से हमरे तंत्र आचार्य अनिभिग्य नहीं रहे हैं उन्हों इसके लिए भी अनेको प्रयोग हमारे सामने रखे हैं .

मंत्र : ॐ क्षौं  क्षौं ||


इस मन्त्र का जितना  भी जैसे  भी हो मंत्र जप  आपके परिवार में सुख शांति लाता हैं आवश्यक हैं की इस मंत्र  का जप परिवार के  मुखिया द्वारा हो तो ज्यादा अच्छा रहता हैं .

4.स्व उन्नति के लिए प्रयोग :

हम मेंसे कौन अपनी उन्नति नहीं चाहता हैं  पर कैसे हो ये सब  इसकेलिए साधनाए   तो पूज्यसद्गुरुदेव ने अनेकों दी हैं

मंत्र : ॐ  नमो भगवती  त्रिलोचनं त्रिपुरं देवी अन्जन्नी में  कल्याणं में कुरु कुरु स्वाहा ||


कम से कम ११ या २१ दिन तो करें ही कम्बल आसन ज्यादा अच्छा रहता हैं  और यह प्रयोग दुर्गा देवी या अन्जन्नी देवी  के चित्र के सामने हो तो ज्यादा श्रेष्ठ रहता हैं .  आपको उन्नति देने में यह समर्थ  प्रयोग आप  जितना भी हो करते जाये, आपके लिए लाभ कारक ही होगा.

5.दांतदर्दनिवारणकेलिए :

भोजन करने के उपरान्त  हाथ मैं जल लेकर  इस मंत्र को सात बार पढ़े फिर इसी अभिमंत्रित जल से  कुल्ला  कर ले, सात बार करें ओर आप इसी प्रकिर्या को प्रतिदिन करें  , आप इस मंत्र के चमत्कारिक परिणाम देख कर आश्चर्य  चकित हो जायेंगे.

मंत्र :

काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला , तुम हो बत्तीस बार हमजोला,
हम लाये तुमबैठे खाओ , अन्तकाल में संग ही जाओ .


6.कमर दर्द :

आज के समय में कमर दर्द एक ऐसी समस्या  बनती जा रही हैं जो बैठने का गलत तरीका , खान पान की गलत शैली, और साथ ही साथ अनेकों अलग  कारण के फलस्वरूप सामने आ रही हैं , वर्तमान चिकित्सा का अपना  महत्त्व तो हैं ही पर यह छोटा सा प्रयोग आपको राहत प्रदान कर सकता हैं 
संध्या समय डूबता हुए सूर्य की ओर मुंह करके यह प्रयोग करें ,एक नीम की छोटी सी डाली ले ले ओर इस मंत्र का २१ बार जप करके , जहाँ दर्द हो रहा हैं वहां स्पर्श कराएँ, हाँ दर्द जहाँ हो रहा हो वहां पर शरीर से डाली  का स्पर्श होना जरुरी हैं . किसी नदी या तलब  में वह डाली फ़ेंक दे , कम से कम २१ दिन तक तो प्रयोग करें ,आपको अपने बिस्वास नुसार  लाभ होगा.(क्योंकि ये मात्र तो इस तथ्य पर ही अधिक निर्भर करते हैं .

मंत्र : ॐ भैरवाय नमः


7.पड़ोसियों से मनोकुल सम्बन्ध कैसे बने :

सच में भाग्य ही जो किसी किसी को अनुकूल पडोसी प्राप्त हो सके, और जब ऐसा हो तो फिर अपने किसी भी निकटस्थ  से भी ज्यादा वे निकट होते हैं .आज के जीवन शैली  में जब एक ही परिवार के लोगों  में मेल मिलाप की कमी होरही हैं तब पडोसी तो बहुत दूर की बात हैं. यदि आप इस सरल से इस  प्रयोग को करके देखें ,परिणाम स्वयं आपके सामने रहेगा. 
किसी भी पात्र या कलश में आप साफ जल ले, ओर १०८ बार इस मंत्र का उच्चारण करें, इसी जल को ७ बार अपने हाथ में लेकर (पात्र से अपने हाथ में ) अपने पड़ोसियों  को थोड़ी देर याद करे, धीरे धीरे यह प्रयोग अपना लाभ स्वयं प्रदर्शित कर देगा.

मंत्र : ॐ चिमी चिमी स्वाहा ||


8.ध्यान प्राप्ति साधना:

यु तो ध्यान मात्र अभ्यास का विषय हे और जेसे की सदगुरुदेव ने कहा हे की तुरंत ही ध्यान लग जाए एसी कोई साधना नहीं हे, यह एक अभ्यास हे जो निरंतर करते रहने से ही सिद्धि प्रदान करता हे, लेकिन मुझे सदगुरुदेव से यह साधना प्राप्त हुयी थी जिसके विषय में उन्होंने कहा था की यह साधना करने पर साधक की ध्यान में आगे बढ़ाने की गति अत्यधिक तीव्र हो जाती हे और साधक कुछ दिनों तक इसका अभ्यास करता रहे तो उसे पूर्ण ध्यान की प्राप्ति इस साधना के सहयोग से अत्यधिक कम समय में हो जाती हे

यह साधना ब्रम्ह मुहूर्त में ही की जाती हे. दिशा उत्तर रहे. वस्त्र और आसान सफ़ेद हो. साधक को इसमे किसी भी प्रकार की माला का उपयोग नहीं करना हे. पद्मासन लगाने के बाद साधक आँखे बांध कर निम्न मंत्र का उच्चारण मन ही मन तब करना हे जब वायु कुम्भक अवस्था में हो. कहने का मतलब ये हे की साँस अंदर लेने के बाद इस मंत्र का मन ही मन उच्चारण कर के बहार निकले

मंत्र : ओम कृष्णाय ध्यान प्रदाय कर जगत पतये नमः


मंत्र का उच्चारण करते वक्त आँखे बंद रहे और आतंरिक त्राटक भृकुटी के मध्य रहे. रोज नियमित रूप से इस मंत्र का ब्रम्ह मुहूर्त में मात्र १ घंटे जाप करना हे. यह प्रयोग २१ दिन का हे. जिसे किसी भी वार से शुरू किया जा सकता हे.

9.विचारशून्य मस्तिस्क के लिए:

कई बार अत्यधिक विचारों से मन बोजिल हो जाता हे और मानसिक संतुलन बिगडने लग जाता हे. यु कई बार साधक साधना के दौरान कई प्रकार के विचारों से त्रस्त रहता हे व् मानसिक उर्जा का क्षय यथा योग्य न हो कर के विभिन्न दिशाओ में मन भटक जाता हे जिससे हताशा और निराशा जेसी गंभीर मानसिक बीमारी स्वाभाविक हे. साबर साधना की उच्च कोटि की साधनाओ में से एक गुप्त साधना हे जो विचारशून्य मानस के लिए अचूक हे और जो सिर्फ मनोमय जगत के साधको के मध्य प्रचलित रही हे
यह साधना को गुरुवार से शुरू करे. यु यह साधना या तो मध्य रात्रि में १२ बजे के बाद की जाती हे लेकीन अगर यह संभव न हो तो साधक इसे ब्रम्ह मुहूर्त में करे.
अपने सामने लोबान धुप को जला ले, साधना के दौरान साधना कक्ष में साधक के अलावा और कोई न हो. वस्त्र इसमे श्वेत रहे दिशा दक्षिण. फिर साधक श्वेत आसान पर बैठ कर एक हरा कपड़ा या हरा धागा अपनी दाहिनी बांह पर बांध ले और उसके बाद निम्न मंत्र का जाप २ घंटे तक करे. इस साधना में जप काल के दौरान पसीना आना स्वाभाविक हे

मंत्र : उलेउल्लाही उलेउल्लाही उलेउल्लाही


यह साधना ७ दिन तक करनी हे. ७ दिन तक दरगाह या मजार पर जा कर साधना सफलता के लिए दुआ करनी चाहिए. ८ वे दिन वह धागा या कपडा अपने हाथ से अलग कर के माजर या दरगाह पर चडा दे.

10.मतभेद नाशन साधना:


गृहस्थ साधको के लिए मेने जब कोई साधना के लिए प्रार्थना की तब उन्होंने यह प्रयोग बताया था. इस साधना के अन्तरगत अगर आपका किसी के साथ भी मतभेद हो गया हो चाहे पति पत्नी मित्र प्रेमी प्रेमिका या फिर आपके कार्य क्षेत्र में, तब साधक को इस साधना को करना चाहिए.

इस साधना के लिए एक शियारशिंगी की जरुरत रहती है, अगर शियारशिंगी उपलब्ध न हो सके तो साधक वटवृक्ष का पत्ता ले, लेकिन कोशिश यही रहे की प्रयोग शियारशिंगी पर ही किया जाए. अपने सामने एक थाली रखे उसमे इच्छित व्यक्ति का नाम काजल से लिखे. उसके ऊपर शियारशिंगी  स्थापित कर ले अब उस पर गुलाब का पुष्प चढ़ाये और कलि हकीक माला से निम्न मंत्र की रात्रि में १० बजे के बाद २१ माला मंत्र जाप करे. इसमे दिशा उत्तर रहे, वस्त्र आसान लाल रहे. इस साधना को किसी भी वार से शुरू किया जा सकता है.

मंत्र : कालिके माता मोरी कर भलाई का काम जीवे राखो जीवे चाखो करो दूर ठूं


यह क्रम ७ रात्रि तक नित्य करना है.

७ दिन बाद जब आप उस व्यक्ति के सामने जाए तो मन ही मन इस मंत्र का उस व्यक्ति के सामने ७ बार उच्चारण करना है. परिस्थितिया अनुकूल हो जाएंगी.

साबर मंत्रो में शब्दों के मतलब पर ध्यान नहीं दिया जाता वरन उसका प्रभाव देखा जाता है. इस प्रयोग को गुप्त रूप से किया जाता हे तथा प्रयोग कर लेने के बाद भी इसका उल्लेख कभी किसी के सामने नहीं किया जाना चाहिए.

11.शत्रु बाधा निवारण प्रयोग:


अगर जीवन में कोई शत्रु परेशान कर रहा हो तो यह प्रयोग को अजमा लेना चाहिए. यह प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है और शत्रु को दूर कर देता है

इस साधना को साधक अमावश्या की रात्रि को सम्प्पन करे. यह उग्र प्रयोग हे, साधक को भयंकर आवाजे भी सुनाई दे सकती है, अतः साधक अपने क्षमता के अनुसार ही इस प्रयोग का चयन करे. साधक को रात्रि में ११:३० बजे का बाद यह प्रयोग आरंभ करना है, इस प्रयोग में दिशा दक्षिण रहे. वस्त्र काले रहे तथा आसान स्मशान भस्म का रहे.

अपने सामने एक तेल का दीपक लगाये जो की साधना पूर्ण होने तक जलता रहे. इसके बाद निम्न मंत्र की ५१ माला जाप उसी रात्रि में सम्प्पन हो जनि चाहिए

मंत्र : ओम भैरव अमुक शत्रु उच्चाटय मम रक्षा कुरु में नमः


इसमे अमुक की जगह शत्रु का नाम लेना है. इस साधना में कलि हकीक माला का उपयोग होता है, साधना के दूसरे दिन माला को नदी में विसर्जित कर दे, यह मात्र एक रात्रि का ही प्रयोग है.

12.वशीकरण मंत्र :


साधना सामग्री हेतु :- सिन्दूर, रोली, और तेल जिसे आप अभिमंत्रित करना चाहते हैं, तेल सरसों या तिल का हो .
दिशा उत्तर या पश्चिम, आसन लाल, मूंगा माला वस्त्र भी लाल हो तो बेहतर या इक्छा अनुसार .
रात्रि १० बजे के बाद स्नान कर पश्चिम दिशा कि ओर मुंह कर बैठ जाएँ,गुरु, गणपति का संक्षिप्त पूजन कर गुरु मन्त्र कि ४ माला संपन्न करें ओर संकल्प लें कि मै इस मन्त्र को सिद्ध करने हेतु ये साधना संपन्न कर रहा हूं....   अब अपने सामने दो कोरे यानी नए दिये, एक कटोरी  जिसमे क्रमशः सिन्दूर, रोली ,और कटोरी मे तेल भरकर अपने सामने रख लें.
फिर मूंगा माला से निम्न मन्त्र कि मात्र ५ माला संपन्न करें. और फिर चार माला गुरु मन्त्र कि संपन्न करें व् मन्त्र गुरुदेव को समर्पित करें.

मन्त्र : "ॐ नमो आदेश गुरु जी कौ, रो रो जोगणी, रो रो काली, ब्रह्मा की बेटी, इन्द्र की साली, सुका घट जावै ताली चौसठ जोगणी, अंग-अंग मोड़ी, अस्त्री पुरुष लगावै संग तेल, रै तेल क्या करै खेल अंगनीभिजी माया निलगीत चौसठ योगिनी की आण पडै, छोड़-छोड़ गौरी हीरौं की वाट आवै, जौरी हमारी खाट मोह मन्त्र छूटा जाई तो गुरु गोरख नाथ को मास खाई फुरो मन्त्र ईश्वरो मन्त्र वाचा."


जब भी वशीकरण की क्रिया को प्रयोग करना हो तो इसी मंत्र की १ माला कर तेल को सम्बंधित व्यक्ति के वस्त्र पर लगा दें.
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