तंत्र शक्ति जागरण साधना

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हर एक तत्र साधक चाहता हे की वह अपनी तांत्रिक साधनाओ में आगे बढे और बढाता ही जाए लेकिन यु होता नहीं हे, इसका कारण यह होता हे की शरीर में निहित स्व तंत्र शक्ति सुषुप्त अवस्था में होती हे, यु मनुष्य खुद ही तंत्र स्वरुप हे क्यूँ की वह जिस ब्रम्ह की खोज कर रहा होता हे, मनुष्य उसका ही तो अंश हे. यु यह शक्ति की प्राथमिक साधना हे जिसे करने पर साधक के अंदर शौर्य व् निडरता का आभास होने लगता हे तथा उसका मन पहले की अपेक्षा से ज्यादा लक्ष्य केंद्रित होता हे

यह साधना मंगलवार से शुरू होती हे. जिसमे दिशा उत्तर रहे. वस्त्र काले हो. भूमि पर ही आसान रहे, अगर साधक चाहे तो स्मशान भस्म का आसान भी बना सकता हे लेकिन और कोई आसान न रहे. यह साधना रात्रि में १.३० बजे के बाद शुरू करे.  अपने सामने शिव का कोई चित्र स्थापित करे और अगरबत्ती जलाए. उसके बाद निम्न मंत्र की रुद्राक्ष माला से ११ माला जाप करना हे

मंत्र : ओम शंकर जटा खोले शक्ति जरे स्वाहा


यह क्रम ७ दिन तक बना रहे. साधक इन ७ दिनों में अपने आप में वह बदलाव अनुभव करने लगेगा जो की हर एक तांत्रिक साधना की भावभूमि हे.
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